जानिए Zero FIR क्या होती है, कब और कैसे दर्ज की जाती है। सरल भाषा में पूरी जानकारी, स्टेप-बाय-स्टेप गाइड और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल।
Table of Contents
Zero FIR क्या है? – आसान भाषा में समझें
जब कोई गंभीर अपराध (जैसे मर्डर, रेप, एक्सीडेंट आदि) होता है, लेकिन पीड़ित उस पुलिस स्टेशन की सीमा (jurisdiction) से बाहर होता है, जहां अपराध हुआ, तब भी वह किसी भी नज़दीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करा सकता है। इसे ही Zero FIR कहा जाता है।
🚨 इसमें केस का नंबर (Crime Number) तुरंत नहीं दिया जाता, लेकिन रिपोर्ट फाइल होते ही जांच शुरू हो जाती है।
Zero FIR को बाद में संबंधित थाना (जहां अपराध हुआ है) को ट्रांसफर कर दिया जाता है, और तब जाकर उसे केस नंबर मिल जाता है।
Step-by-Step: Zero FIR कैसे दर्ज करें?
नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं – भले ही वह अपराध स्थल की सीमा में न आता हो।
घटना की पूरी जानकारी दें – जैसे तारीख, समय, लोकेशन, अपराध का प्रकार आदि।
लिखित या मौखिक में शिकायत दर्ज करें – दोनों तरीकों से मान्य है।
FIR पढ़ें और साइन करें – यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है।
एक कॉपी अपने पास रखें – बहुत जरूरी होता है।
Common Mistakes & उनसे कैसे बचें?
गलती | समाधान |
---|---|
सिर्फ मौखिक शिकायत देकर चले जाना | FIR की साइन की गई कॉपी जरूर लें |
थाना स्टाफ से डरना या बहस करना | शांत रहें और अपने कानूनी अधिकार पर जोर दें |
घटना की अधूरी जानकारी देना | पूरी जानकारी, सटीक टाइमिंग और गवाह जरूर दें |
Best Tools/Helplines:
Women Helpline – 1091
National Emergency – 112
Cyber Crime Portal: cybercrime.gov.in
NCRB Crime Statistics: ncrb.gov.in
FAQs – Zero FIR से जुड़े आम सवाल
Q1. Zero FIR और Normal FIR में क्या अंतर है?
👉 Zero FIR किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, जबकि Normal FIR उसी थाने में दर्ज होती है जिसकी सीमा में अपराध हुआ हो।
Q2. क्या पुलिस Zero FIR दर्ज करने से मना कर सकती है?
❌ नहीं! Supreme Court के अनुसार, पुलिस को किसी भी Cognizable offence में FIR दर्ज करनी ही होगी, भले ही घटना उनके jurisdiction से बाहर क्यों न हो।
Q3. Zero FIR कब जरूरी होती है?
👉 रेप, एक्सीडेंट, किडनैपिंग, डकैती, मर्डर जैसे गंभीर अपराधों में जब आपको तुरंत मदद चाहिए।
Q4. क्या Zero FIR ऑनलाइन दर्ज हो सकती है?
✅ कई राज्य पुलिस पोर्टल्स में यह सुविधा है, लेकिन ज्यादातर केस में ऑफलाइन थाने में जाकर ही दर्ज की जाती है।
Zero FIR एक बहुत ही ज़रूरी और जागरूकता वाला कानूनी अधिकार है, खासकर जब घटना स्थल से दूर होते हुए भी तुरंत FIR दर्ज करानी हो। कई बार पीड़ित महिला, बच्चा या बुज़ुर्ग तुरंत सही जगह नहीं पहुंच पाता – ऐसे में Zero FIR जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
-:नोट:-
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Posted by राम कुमार